Social Work

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What Social work is about

Social work is a profession that is dedicated to helping individuals, families, and communities to improve their quality of life. It is a profession that is focused on providing services to those in need, such as those who are facing poverty, mental health issues, substance abuse, and other social issues. Social workers are trained to assess the needs of their clients and to develop plans to help them achieve their goals. Social work is a profession that is based on the principles of social justice, human.

Social work is a broad profession that intersects with several disciplines. Social work organizations offer the following definitions:

“Social work is a practice-based profession and an academic discipline that promotes social change and development and the empowerment and liberation of people. Principles of social justice, human rights, collective responsibility, and respect for diversity are central to social Service. Underpinned by theories of social service, social sciences, humanities, and indigenous knowledge, social service engages people and structures to address life challenges and enhance well-being, International Federation of Social Workers.

Social work is a profession concerned with helping individuals, families, groups, and communities to enhance their individual and collective well-being. It aims to help people develop their skills and their ability to use their resources and those of the community to resolve problems. Social work is concerned with individual and personal problems but also with broader social issues such as poverty, unemployment, and domestic violence, Canadian Association of Social Workers.

Social work practice consists of the professional application of social principles, and techniques to one or more of the following ends: helping people obtain tangible services; counseling and psychotherapy with individuals, families, and groups; helping communities or groups provide or improve social and health services, and participating in legislative processes. The practice of social work requires knowledge of human development and behavior; social and economic, and cultural institutions; and the interaction of all these factors, National Association of Social Workers.

Social Work
If there is no struggle, there is no progress.

History of Social Work

The practice and profession of social work have a relatively modern and scientific origin and are generally considered to have developed out of three strands. The first was individual casework, a strategy pioneered by the Charity Organization Society in the mid-19th century, which was founded by Helen Bosanquet and Octavia Hill in London, England, Most historians identify COS as the pioneering organization of the social theory that led to the emergence of social service as a professional occupation.

This was accompanied by a less easily defined movement; the development of institutions to deal with the entire range of social problems. All had their most rapid growth during the nineteenth century, and laid the foundation basis for modern social service, both in theory and in practice https://www.ieindia.org/webui/iei-Memb.aspx.

Professional social work originated in 19th century England, and had its roots in the social and economic upheaval wrought by the Industrial Revolution, in particular, the societal struggle to deal with the resultant mass urban-based poverty and its related problems. Because poverty was the main focus of early social service, it was intricately linked with the idea of charity work.

In India, The 18th century was a very unstable period in Indian history, which contributed to psychological and social chaos in the Indian subcontinent. In 1745, lunatic asylums were developed in Bombay (Mumbai) followed by Calcutta (Kolkata) in 1784, and Madras (Chennai) in 1794. The need to establish hospitals became more acute, first to treat and manage Englishmen and Indian ‘sepoys’ (military men) employed by the British East India Company. The First Lunacy Act (also called Act No. 36) that came into effect in 1858 was later modified by a committee appointed in Bengal in 1888. Later, the Indian Lunacy Act, of 1912 was brought under this legislation. A rehabilitation program was initiated between the 1870s and 1890s for persons with mental illness at the Mysore Lunatic Asylum, and then an occupational therapy department was established during this period in almost each of the lunatic asylums. The program in the asylum was called ‘work therapy’. In this program, persons with mental illness were involved in the field of agriculture for all activities. This program is considered the seed of origin of psychosocial rehabilitation in India.

Social Work
The time is always right to do the right thing.

Activity sectors with Social Service

Social welfare, social services, government, health, public health, mental health, occupational safety and health, community organization, non-profit, law, corporate social responsibility, and human rights.

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To be tested is good. The challenged life may be the best therapist.

Education required in Social Service

Bachelor of Social Work (BSW), Bachelor of Arts (BA) in Social Service, Bachelor of Science in Social Work (BSc) or a Postgraduate Diploma in Social Service (PGDipSW) for general practice; Master of Social Service (MSS), Master of Science in Social Service (MSSS) for clinical practice; Doctorate of Social Service (DSS) or Professional Doctorate (ProfD or DProf) for or specialized practice; Accredited educational institution; Registration and licensing differs depending on the state.

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The price of inaction is far greater than the cost of making a mistake.

Fields of employment in Social Service

Child and women protection services, non-profit organizations, government agencies, disadvantaged groups centers, hospitals, schools, churches, shelters, community agencies, social planning services, think tanks, correctional services, labor, and industry services.

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One person can make a difference, and everyone should try.

पत्नी के होते हुए भी दूसरी महिला का दीवाना क्यों होता है मर्द, ये हैं 5 कारण

आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत अगर किसी ने अपनी जिंदगी में आत्मसात कर लिए तो वह बेहतर जिंदगी जी सकता है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, परिवार, रिश्ते, मर्यादा, समाज, संबंध, देश और दुनिया के साथ ही कई और चीजों को लेकर सिद्धांत दिए हैं.

आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत अगर किसी ने अपनी जिंदगी में आत्मसात कर लिए तो वह बेहतर जिंदगी जी सकता है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, परिवार, रिश्ते, मर्यादा, समाज, संबंध, देश और दुनिया के साथ ही कई और चीजों को लेकर सिद्धांत दिए हैं. चाणक्य के ये नीति शास्त्र के सिद्धांत सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं. ऐसे में चाणक्य ने पति-पत्नी के संबंध और रिश्तों पर भी अपने सिद्धांत दिए हैं जिसे जानना बेहद जरूरी है. वैसे ये कहा जाता है कि स्त्री हो या पुरुष किसी अन्य के लिए आकर्षण सामान्य सी बात है. यह गलत भी नहीं है लेकिन यह गलत तब होता है जब यह आकर्षण केवल किसी की तारीफ करने या बात करने के दायरे से आगे बढ़कर कुछ और नजर आने लगे.

सामान्य सिद्धांत कहता है कि आकर्षण मनुष्य के अंदर का स्वभाव है. लेकिन इसकी वजह से आपकी शादीशुदा जिंदगी में तनाव पैदा हो तो फिर ये केवल आकर्षण नहीं हैं. ऐसे में शादीशुदा लोगों का एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर कई कारणों से होता है और अगर इसे समय रहते ठीक कर लिया जाए तो यह आपके लिए बेहतर होगा. ऐसे में हम पांच ऐसी वजहों के बारे में बताएंगे जिसके कारण शादीशुदा जिंदगी तबाह हो जाती है और मर्द अपनी पत्नी को छोड़ किसी और का दीवाना हो जाता है.

कम उम्र में शादी

कम उम्र में शादी कई बार ऐसी परेशानी लेकर आता है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. एक तो आप समझदारी के लेवल पर बहुत नीचे के पायदान पर होते हैं. दूसरे आपके पास पहले से ही करियर और अन्य चीजों को लेकर परेशानी बनी रहती है ऐसे में जब करियर थोड़ ठीक होता है तो लोगों को लगता है कि उन्होंने पीछे कई चीजें ऐसी छोड़ दी जो उन्हें हासिल करना था और फिर लोग एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर की ओर कदम बढ़ा देते हैं.

शारीरिक संतुष्टि

शारीरिक संतुष्टि नहीं मिलने की वजह से ही ज्यादातर मामलों में पति-पत्नी के बीच आकर्षण की कमी साफ देखने को मिलती है. ऐसे में ये प्रमुख कारण होता है कि लोग एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर की तरफ बढ़ जाते हैं. शारीरिक संतुष्टि का मतलब केवल बिस्तर पर एक दूसरे को संतुष्ट करना नहीं बल्कि मन और वचन से भी एक दूसरे के प्रति उदार रहना है.

संबंधों में भरोसे की कमी

कुछ लोगों में देखा गया है कि वह एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं ऐसे में जीवनसाथी का एक दूसरे के प्रति समर्पण और सेक्स लाइफ का कामयाब होना बहुत जरूरी है नहीं तो आपके संबंधों में जल्द ही गांठ पड़ने लगेगी. कई बार तो कोई अपने साथी के साथ संबंधों से संतुष्ट होने के बाद भी दूसरे संबंध बनाने के लिए आतुर रहते हैं ये आपके जीवन को बर्बाद करने के लिए काफी है.

मोहभंग होना

आप अपने जीवनसाथी को सबसे सुंदर माने उसकी केयर करें नहीं तो दूसरों की खूबसूरती और आपका जीवनसाथी आपको बदसूरत नजर आने लगे तो यह आपके जीवन में और शादीशुदा जिंदगी में परेशानियों के अलावा कुछ और नहीं देगा. आपको जब अपने जीवनसाथी के सारे गुण अवगुण प्रतीत होने लगे तो समझ लेना चाहिए आपके परिवार में बिखराव की स्थिति बन रही है.

बच्चे का होना

कोई भी स्त्री-पुरुष जैसे ही मां-बाप बनते हैं उनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आ जाता है. ऐसी स्थिति में पुरुषों का अपनी स्त्री से मोहभंग होने लगता है. ऐसा हेने की वजह महिलाओं का अपने बच्चों के साथ ज्यादा वक्त गुजारना है.

हर पत्नी अपने पति से छिपाती हैं ये 5 बड़ी बातें, जानें क्या है राज
हर पत्नी अपने पति से जीवनभर छिपाकर रखती है
हर पत्नी अपने पति से जीवनभर छिपाकर रखती है

1. विवाह से पूर्व का प्रेमी : पत्नी अपनी विवाह से पूर्व की बातें कभी अपने पति से नहीं शेयर करती है। ये बातें जीवनभर पत्नी के मन में भी दबा रह जाता है। ये बातें बस पत्नी की सहेलियों को ही पता होता है।

2. संतुष्ट न होने पर भी खुश रहना : जो पत्नी आदर्श होती हैं वो संतुष्ट नहीं होने के बाद भी खुश ही रहती हैं। ये अपनी उदासी कभी भी अपने पति एवं परिवार के सामने जाहिर नहीं होने देती हैं। इससे पति को लगता है कि उसकी पति उसके व्यवहार से खुश है।

3. पैसों को छिपाने में माहिर : पत्नी में ये गुण काफी अच्छा होता है। ये लोग पैसे बचाने के बारे में सोचती हैं। इससे कभी जरूरत पड़ने पर वो अपने पति की सहायता करती हैं। मगर इस बात की खबर अपने पति को नहीं होने देती हैं। बचत की बातें सिर्फ पत्नी को ही पता होता है।

4. बीमारी के बारे में : एक आदर्श पत्नी कभी भी अपनी बीमारी के विषय में अपने पति को नहीं बताती हैं। पत्नियां कभी भी अपने पति को दुखी होती नहीं देख सकती हैं। इसलिए इन सारी बातों को छिपाना ही वो जरूरी समझती हैं।

5. सहमति नहीं होने पर भी हामी भरना : पत्नियों का ये गुण बेहद सराहा जाता है। कहते हैं, पति का फैसला स्वीकार नहीं होने पर भी हामी भरना पत्नी का स्वभाव होता है। ये पति को भनक भी नहीं लगने देती हैं कि इन्हें ये बात पसंद नहीं।

हार्ट अटैक ठीक 1 महीना पहले देता है अपने आने की खबर, दिखे ये 12 संकेत तो हो जाएं अलर्ट

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A healthy heart is the main source of your strength.

हार्ट अटैक उन बीमारियों की श्रेणी में आता है जो मौत का कारण बनती है। हार्ट का सही तरह से काम न करना कई शरीर में होने वाली कई घटनाओं पर निर्भर करता है। जैसे ब्लड का थक्का जमना, शुगर का हाई होना आदि। हार्ट अटैक आने से पहले शरीर एक पूरे प्रोसेस से होकर गुजरता है। ऐसे में शरीर में कई लक्षण भी दिखते हैं। हाल ही में हुए एक स्टडी में भी इस बात का खुलासा हुआ है।

हार्ट अटैक (Heart Attack) आज के समय की सबसे आम मौत का कारण बन चुकी है। लोगों की माने तो यह हार्ट अटैक एक अचानक घटने वाली घटना है। लेकिन आम राय के विपरीत, दिल का दौरा पड़ने की शुरुआत अक्सर एक झटके के साथ होती है, अचानक किसी विस्फोट की तरह नहीं। दरअसल, हार्ट अटैक के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। हाल ही में 500 से अधिक महिलाओं के पर हुए एक स्टडी के अनुसार हार्ट अटैक आने से 1 महीने पहले से ही शरीर वार्निंग साइन देने लगता है।

जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हार्ट अटैक आने से 1 महीने पहले से ही इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। रिसर्च में 500 से अधिक महिलाओं को शामिल किया गया था जो दिल का दौरा पड़ने से बच गई थीं। कुल प्रतिभागियों में से 95 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने देखा कि उनके दिल के दौरे से एक महीने पहले से ही शरीर में कुछ लक्षण दिखाई दे रहें थे। जहां 71 प्रतिशत ने थकान को एक सामान्य लक्षण बताया, वहीं 48 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें नींद से संबंधित समस्याएं हुई। कुछ महिलाओं ने सीने में दर्द भी, छाती में दबाव, दर्द या जकड़न का अनुभव करने की भी बात कहीं।

हार्ट को सेफ रखने के लिए एक स्वस्थ, संतुलित आहार लें और प्रोसेस्ड, शुगर वाले पदार्थों का सेवन कम करें। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ वजन बनाए रखें, अपने रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करें। यदि आप शराब पीने वाले या धूम्रपान करने वाले हैं, तो उन्हें धीरे-धीरे छोड़ दें या उन्हें कम कर दें।

क्रोध वह आंधी है, जिसके आने पर बुद्धि का दीपक बुझ जाता है, पढ़ें इससे जुड़े 5 प्रेरक वाक्य

अपना हो या फिर पराया, छोटा हो या फिर बड़ा, किसी भी व्यक्ति पर गुस्सा आना स्वाभाविक सी बात है. यह किसी भी व्यक्ति के द्वारा कभी भी, किसी पर भी किया जा सकता है. यदा-कदा कभी किसी बात पर क्रोध आना तो कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन बात-बात पर या फिर कहें बेवजह किसी पर गुस्सा करना विनाश का सूचक होता है. ऐसे क्रोध को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. मान्यता है कि जब व्यक्ति को गुस्सा आता है तो उसमें सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है. जिस क्रोध के आने पर व्यक्ति अपने जीवन में कोई भी सही निर्णय लेने मे अक्षम हो जाता है.

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क्रोध इन्सान का सब कुछ तबाह कर देता हैं, इसलिए किसी भी चीज को शांति से समझे।

यदि क्रोध पर नियंत्रण न किया जाए तो वह जिस कारण उत्पन्न होता है, व्यक्ति को उससे कहीं ज्यादा हानि पहुंचा सकता है.

किसी व्यक्ति को क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए भले ही ताकत की जरूरत न पड़े लेकिन क्रोध आने पर चुप रहने के लिए बहुत ताकत की आवश्यकता होती है.

किसी भी व्यक्ति का क्रोध तभी सही है, जब वह स्वयं पर कर रहा हो क्योंकि ऐसे क्रोध से स्वयं को बदलने की भावना पैदा होती है, परन्तु ऐसा क्रोध लोगों को कम ही आता है.

जीवन में क्रोध से व्यक्ति के भीतर भ्रम पैदा होता है और भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब व्यक्ति का तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क के नष्ट होते ही व्यक्ति का पतन होता है.

कभी किसी व्यक्ति को क्रोध में उत्तर नहीं देना चाहिए क्योंकि क्रोध व्यक्ति के विवेक को खा जाता है, जिसके बाद उसके भीतर अच्छे-बुरे को सोचने की शक्ति समाप्त हो जाती है.

जीवन में किसी के साथ प्रेम के बगैर त्याग नहीं होता और त्याग के बगैर प्रेम नहीं होता है. त्याग के असल मायने समझने के लिए पढ़ें इससे जुड़े 5 अनमोल सीख:
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परिवार की ख़ुशी के लिए हर व्यक्ति को त्याग करना हीं पड़ता है.

किसी व्यक्ति पर अपना सब कुछ न्योछावर करने से पहले यह जरूर जान लीजिए कि वह व्यक्ति सही है अथवा नहीं, अन्यथा आपके द्वारा किए गये त्याग का कोई मोल नहीं रह जाएगा.

यदि आप सफलता के पायदान पर चढ़ना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सबसे पहले अपने आराम का त्याग करना होगा.

जीवन में जहां कुछ पाने के लिए कुछ चीजों का त्याग बहुत जरूरी माना गया है, वहीं सत्य, दान, कर्म, क्षमा, धैर्य और गुरु का कभी भी त्याग नहीं करना चाहिए.

जीवन में बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को नींद, थकान, भय, क्रोध आलस्य और विलंब करने की गंदी आदतों को जल्द से जल्द त्याग कर देना चाहिए.

जीवन में किया जाने वाला त्याग वो होता है जो करके कभी दिखाया नहीं जाता है. यदि हम किसी के लिए त्याग करके उसे जताते हैं तो वह त्याग नहीं बल्कि एहसान कहलाता है.

आंतों को सड़ाने का काम करती हैं आपकी ये 5 आदतें!
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आंतों की कमजोरी के लक्षण · मल में रक्त, · बुखार, भूख न लगना

क्या आप जानते हैं कि आपकी कुछ आदतें ही आपकी आंतों में गंदगी जमा करने का काम करती हैं, जिसकी वजह से आपको खाना पचाने से लेकर शौच के दौरान बदबू आती है?

पानी न पीना (not Drinking Water): गर्मी हो या फिर सर्दी आपको दिनभर में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि आपके शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा न हों। सर्दी के दिनों में पानी न पीने की वजह से आपके शरीर को जरूरी काम करने के लिए फ्लूयड नहीं मिलता है और आपकी आंतें शरीर में मौजूद पानी का ही इस्तेमाल करती हैं, जिसकी वजह से पानी की कमी हो जाती है और आंतें सड़ना शुरू हो जाती हैं।

फाइबर की कमी (not Eating Fiber Rich Foods): खाने में पर्याप्त फाइबर न होने की वजह से आपको शौच में भी दिक्कत आने लगती है। फाइबर एक ऐसा न्यूट्रिएंट है, जिसकी कमी आपको जल्दी भूखा बनाती है और आप अनहेल्दी फूड्स का सेवन करने लगते हैं। यही अनहेल्दी फूड्स आपकी आंतों और आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं।

खाना निगलना (Swalloing Foods) : अक्सर आपने देखा होगा कि बहुत से लोग जल्दी-जल्दी खाने के चक्कर में खाना चबाते नहीं हैं ब्लकि खाने को निगल जाते हैं। आपकी ये गलती सीधे आपकी आंतों को प्रभावित करती है क्योंकि उसे जरूरी पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते हैं। जब खाना सीधे आपके पेट में पहुंचता है तो आपकी आंतों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसकी वजह से उसका काम मुश्किल हो जाता है और आंतें सड़ने लगती हैं।

खाते ही लेटना (rest After Eating) : अक्सर बहुत से लोग खाना खाकर सीधे सोने चले जाते हैं या फिर बिस्तर का कोना पकड़कर लेट जाते हैं। ये आदत आंतों को खाना पचाने में दिक्कत देती है। जब आंतों को सही तरीके से खाना पचाने में मदद नहीं मिलेगी तो उन्हें ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी और खाना भी देर से पचेगा, जिसकी वजह से गैस और दूसरी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

सही फूड्स न खाना (not Eating Right Foods) : अक्सर गलत खाना या फिर खराब फूड कॉम्बिनेशन की वजह से आपकी आंतों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। दरअसल आप इस परेशानी को सिर्फ अपनी एक आदत से बदल सकते हैं। आपको करना क्या है कि सिर्फ थाली में फर्मेंटेड फूड्स को शामिल करना या फिर आप दही का सेवन भी कर सकते हैं, जो आपकी आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है।

भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश क्यों जा रहे हैं बड़ी संख्या में लोग, क्या है इसकी बड़ी वजहें?
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अमेरिका के बाद भारत छोड़कर जाने वालों की पसंद ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी बना हुआ है।

सवाल उठता है कि आखिरकार जो भारत भविष्य में विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है, उसे छोड़कर लोग जा कहां रहे हैं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसने वाले लोगों की पहली पसंद अमेरिका बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में भारत की नागरिकता छोड़ने वाले कुल लोगों में से 61,683 लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी। जबकि साल 2020 में 30,828 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़कर अमेरिका की नागरिकता ली थी। वहीं साल 2021 में सबसे अधिक 78,284 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर अमेरिका की नागरिकता ले ली।

आखिर लोग क्यों छोड़ रहे हैं भारतीय नागरिकता

विशेषज्ञों की मानें तो भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के पास कुछ प्रमुख वजहें हैं। पहली वजह है व्यापारिक सुरक्षा। दरअसल, भारत के धनी लोगों को लगता है कि भारतीय सरकार उन्हें व्यापार के अनुकूल माहौल नहीं बना कर दे पा रही है, जिसकी वजह से वह किसी और देश में निवेश कर वहीं की नागरिकता ले लेते हैं। दूसरी बड़ी वजह है लिविंग स्टैंडर्ड। भारत के अमीर लोगों को लगता है कि जो लिविंग स्टैंडर्ड उन्हें अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या कनाडा में मिल जाएगा वह उन्हें यहां नहीं मिलेगा।

एजुकेशन भी बड़ी वजह है

भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसने वाले लोगों को लगता है कि एजुकेशन के मामले में पश्चिमी देश भारत से बेहतर हैं। आपको बता दें, साल 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीय छात्रों की संख्या अमेरिका में लगभग 12 फ़ीसदी बढ़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में देखा गया है कि पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाली भारतीय छात्रों में से करीब 70 से 80 फ़ीसदी युवा देश वापस नहीं लौटते हैं। बेहतर भविष्य और करियर को देखते हुए वह विदेश की नागरिकता लेकर वहीं बस जाते हैं।

एकल नागरिकता भी एक वजह

भारत के संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान है। यानी कि भारत का संविधान भारतीयों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते। अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक रहते हुए दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो अधिनियम की धारा 9 के तहत उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है। जबकि इटली, आयरलैंड, अर्जेंटीना, पराग्वे जैसे कई देश है जहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। यह एक बड़ी वजह है कि जब कोई भारतीय दूसरे देश की नागरिकता लेना चाहता है तो उसे भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ती है। अगर भारत में भी एकल नागरिकता का सिस्टम नहीं होता तो शायद भारतीय नागरिक अन्य देशों की नागरिकता लेते वक्त भारत की भी नागरिकता अपने पास रखते। हालांकि, यहां हम आपको एक जानकारी दे दें कि जो भी भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता छोड़ते हैं वह ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं जिससे उन्हें भारत में रहने और अपना बिजनेस चलाने में सहूलियत मिलती है।

Personality Development: खुश रहना चाहतें हैं तो अपनाएं ये 5 आदतें, बेहतर लगेगी जिंदगी.
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Strive not to be a success, but rather to be of value.

नए साल की शुरुआत हुए कुछ ही दिन हुए हैं. ऐसे में आपने भी कुछ नया और अच्छा करने की प्लानिंग कर ली होगी. नए साल में आपने भी कुछ बदलाव लाने का लक्ष्य रखा होगा. इन सब के बीच सबसे जरूरी चीज खुशी है. अगर आप खुश रहेंगे तो खुद को अपने लक्ष्यों के ज्यादा करीब महसूस करेंगे और कामयाबी की राह में आसानियां महसूस करेंगे लेकिन इन सब के जरूरी है आपका खुश रहना. आइये जानते हैं खुश रहने के लिए हमें किन आदतों को अपनी जिंदगी में शामिल करना है.

खुद को वक्त देना: जिंदगी को आसान और बेहतर चलाने के लिए रूटीन जरूरी होता है. रूटीन में चलेंगे तो काम सही दिशा में और समय पर हो पाएंगे लेकिन इस बीच खुद के लिए समय निकालना बेहद जरूरी है. अगर आप तरह-तरह के स्ट्रैस से बचना चाहते हैं तो रोज थोड़ा वक्त खुद के लिए जरूर निकालें. ये आपकी खुशी के लिए बेहद कारगर साबिक होगा.

नियंत्रण का ख्याल रखें: हम जिंदगी में बहुत कुछ बदलना चाहते हैं औप इस बदलाव के साथ जिंदगी को बेहतर देखते हैं लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि जो आपके नियंत्रण में है उसी पर काम करें. आपके नियंत्रण में मौसम नहीं और न ही अन्य लोग हैं इसलिए जरूरी है कि अपने नियंत्रण का ख्याल रखकर अपनी प्लानिंग करें और बदलाव की शुरुआत करें.

लोगों को प्रोत्साहित करें: अगर आप बदलाव चाहते हैं तो खुद से शुरुआत करें और जिन लोगों में आप ऐसे बदलाव देखते हैं उन लोगों को प्रोत्साहित करें. लोगों को बताएं कि आज आपने अच्छा काम किया है. लोगों से फोन पर बात करें, उन लोगों के साथ वक्त बिताएं जिनके साथ आपको खुशी मिलती है.

व्यवहार में कृतज्ञता लाएं: समय के साथ हमारी ख्वाहिशें बढ़ती रहती हैं. लेकिन जब हम ऐसे लोगों के देखते हैं, जो बुनयादी जरूरतों के बिना अपना जीवन जी रहे हैं तो हमारा नजरिया बदल जाता है. इससे आप उनकी मदद करना चाहते हैं और खुद संतुष्ट रहने लगते हैं. इससे हमारी ख्वाहिशों पर अंकुश लगता है और जिंदगी आसान होती चली जाती है.

सपनों की लिस्ट बनाएं: जिंदगी जीने के लिए जिम्मेदारियों के साथ-साथ कुछ लक्ष्य भी जरूरी हैं. लक्ष्य आपको कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं और जिंदगी जीने का जज्बा बनाए रखते हैं.  लगातार जिम्मेदारियां निभाना बोरिंग हो सकता है. रोज जॉब पर जाना, बिल भरना, बजट बनाना आपकी जिंदगी में उदासीनता ला सकता है.

हड्डियों का प्रोटीन-कैल्शियम चूस लेती हैं ये 4 चीजें, खोखली हड्डियों में जान भर देंगे
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दूध, दही और पनीर जैसे उत्पाद में कैल्शियम भरपूर पाया जाता है।

Calcium and Vitamin D rich food Bones:  हड्डियों के स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना आपकी सेहत को भारी पड़ सकता है। आपके द्वारा खाई जाने वाली कुछ चीजें हड्डियों को कमजोर कर रही हैं। जानिए इन्हें मजबूत करने के उपाय।

शरीर का पूरा वजन हड्डियों के ढांचे पर टिका होता है इसलिए हड्डियों का मजबूत और स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। शरीर को सहारा और आकार देने के अलावा हड्डियों का काम दिमाग और फेफड़े जैसे अंगों को सुरक्षा करना भी है। साथ ही यह खनिजों का भंडारण करती हैं और लाल व सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती हैं।

कुल मिलाकर हड्डियों में किसी भी तरह की गड़बड़ी या कमजोरी आपको मोहताज बना सकती है। हड्डियों में खराबी आने पर आपको ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी का कैंसर, हड्डियों का घनत्व कम होना, हड्डियों में इन्फेक्शन, ऑस्टियोनेक्रोसिस और बच्चों में रिकेट्स की समस्या हो सकती है।

हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होरी है। यह सभी चीजें आपको खाने से मिलती हैं। चिंता की बात यह है कि आजकल लोगों के खाने से यह तीनों चीजें गायब हैं। रोजाना खाई जाने वाली कुछ चीजें हड्डियों को गंभीर नुकसान पहुंचती हैं।

1.    ज्यादा नमक वाली चीजें खाना

2.    मीठे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन

3.    सोडा और कैफीन

4.    शराब

Smartphone बना देगा नपुंसक! कहीं आप भी तो नहीं रखते इस जेब में अपना फोन
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ताले है चाबियाँ है पर उनका आभास खत्म हो गया है, पड़ोसी है लेकिन उनका विश्वास खत्म हो गया है.

क्या हो सकता है नुकसान?

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर जेब में फोन रखा है और वो वायरलेस नेटवर्क से कनेक्टेड है तो शरीर को 10 गुणा रेडिएक्शन झेलना पड़ता है. बता दें, रेडिएशन को भी कैंसर की एक वजह माना गया है. रेडिएशन आपके DNA स्ट्रक्चर को भी बदल सकते हैं. इससे इम्पोटेंट होने का भी खतरा बढ़ सकता है और दिल की बीमारी तक हो सकती है.

कहां रखें फोन

अपने फोन को ऐसी जगह न रखें, जहां नाजुक अंग पास हो. सबसे सही होगा कि अपने फोन को बैग या पर्स में हो. अगर बैग में नहीं तो पिछली जेब में फोन को रख सकते हैं. फोन का पिछला हिस्सा ऊपर की तरफ रखें कम से कम रेडिएशन के संपर्क में रहें.

क्या आदमी को खुद की बड़ाई करनी चाहिए?
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डूब कर मेहनत करो अपने आज में, ताकि कल जब उभरो सबसे अलग निखरो ।

हां, वह इंसान जिसकी कोई तारीफ़ करना पसंद नहीं करता खासकर मुंह पर, उसे अपनी तारीफ़ करने का हुनर आना ही चाहिए। गरीब या ईमानदार जो एक गरीब तुल्य ही होता है, की कोई भी तारीफ करना पसंद नहीं करता। इससे तारीफ़ करने वाले इंसान के अहम को ठेस पहुंचती है जो उसे नागवार होगा। क्योंकि गरीब या ईमानदार आदमी को हमेशा लोग उसे इसी हालत में देखना पसंद करते हैं। उसकी तरक्की या सफलता इन्हें नहीं पच पाती है। होंसला अफजाई तक करने में शर्म महसूस करते हैं। पर आपको बढ़ते रहना है। इसलिए अपने द्वारा किए गए हर अच्छे कार्य की तारीफ कोई करे या न करे पर आप अपने मन में तो कर ही सकते हैं। पर ध्यान रहे आपको स्वयं को ग़लत काम पर फटकारना भी पड़ेगा। आपने देखा होगा कि तारीफ तो थोड़ी बहुत लोग कर भी लेते हैं, पर गलत कार्य को कोई नहीं बताता। इसलिए आपको अपने ऊपर दोनों तरफ से ध्यान रखना पड़ेगा। तभी आप आगे बढ़ पायेंगे। इसे कहते हैं “आत्म विश्लेषण” । सही आत्म विश्लेषण करने का यही सरलतम उपाय है। सारे धर्मों ने अपने से हर बुराई को मिटाने के लिए “आत्म विश्लेषण” पर ही जोर दिया है। इसे करने की टैकनिक भी यही है। यदि आप मैडिटेशन की तकनीक से वाकिफ हैं तो यह सोने में सुहागा होगा। नकारात्मक सोच से सकारात्मक सोच में आने के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस आत्म विश्लेषण में अगर हम अपनी थोड़ी बहुत तारीफ या बड़ाई कर लेते हैं और जिसके हम हकदार भी हैं, तो अच्छा ही है। हां, एक बात का ध्यान भी रखना अति आवश्यक है। झूठी बुराई सुनने का नशा। यह एक खतरनाक बुराई है। जिसको इसका चस्का पड़ गया उसका तो भगवान ही मालिक है। यदि ऐसे आदमियों की तारीफ उनके मुंह पर नहीं करोगे तो वह नाराज़ होने में देर नहीं लगायेंगे। और कहीं खुदानाखासता उनकी बुराई हो गई तब तो आप बचे नहीं। अतः इस तकनीक के आधार पर अपना आत्मविश्लेषण करते रहिएगा।

किसी भी इंसान को ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। क्युकी अगर उसने अपने द्वारा किए कोई भी महान काम की खुद से बढ़ाई की तो उस काम की कोई मेहत्वता नहीं रह जाती है, वह नष्ट हो जाती है। साथ ही साथ उस इंसान का मान सम्मान भी दाव पर लग जाता है। तो खुद की बढ़ाई करने से बचें।

धन्यवाद।
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