Muslim Festivals

Muslim Festivals

हमेशा अखलाक़ से बात करो क्योंकि इंसान पर सबसे ज़्यादा मुसीबतें उसकी अपनी जबान की वज़ह से आती हैं।
हमेशा अखलाक़ से बात करो क्योंकि इंसान पर सबसे ज़्यादा मुसीबतें उसकी अपनी जबान की वज़ह से आती हैं।

There are two Muslims festivals which are celebrated by Muslims, Eid ul-Fitr and Eid ul-Adha. Eid ul-Fitr is celebrated to mark the end of the holy month of Ramadan, which is the month when Muslims fast during the day, abstaining themselves from food, drink, and other physical needs. The festival of Eid ul-Fitr lasts for three days. Eid ul-Adha is celebrated on the 10th day of the Islamic month of Dhul Hijja to mark the end of Hajj. It also marks Prophet Abraham’s willingness to sacrifice his son in accordance with God’s command.

If you are a Muslim, you have to keep in mind that the holy month of Ramadan has just begun. It is a religious obligation and a month that demands a lot of discipline and tolerance. You should fast during the day, which means no eating, drinking or smoking. You also have to abstain from sexual intercourse and bad behaviour generally. Fasting requires a lot of planning and preparation, as you have to make sure you are still healthy enough to participate in physical activities and read the Quran as well. Apart from the latter, you should keep in mind that you should try to keep the fast, which means that you should avoid eating, drinking or smoking during the hours of fasting. You have to act with moderation when it comes to food in your daily life while you are fasting.

The Muslims festival is a reminder of Allah’s blessings and shows how important it is to obey Allah’s will. During Hajj, Muslims remember the trials of the prophet Ibrahim when he was asked to make a great sacrifice for the sake of God.

Muslim Festival
जिंदगी का हर पल खुशियों से कम न हो, आपका हर दिन ईद के दिन से कम न हो।

बकरीद या ईद-उल-अजहा इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुसलमानों द्वारा पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार इस्लामी कैलेंडर के आधार पर दूसरे इस्लामी महीने ज़ुलहिज्ज़ा के 10वें दिन को मनाया जाता है। इस त्योहार में मुसलमान भक्तों द्वारा बकरे के ज़ुबान बांधकर उसे क़ुर्बानी कर दिया जाता है।

बकरीद का मतलब होता है ‘क़ुर्बानी की ईद’। इस त्योहार का महत्वपूर्ण इतिहास और परंपराओं से जुड़े हैं। इसे मुसलमान समुदाय की एकता, त्याग, और परमात्मा के प्रति विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार उन दिनों को याद दिलाता है जब नबी इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पुत्र इसमाइल की क़ुर्बानी देने के लिए तैयार होने की साहसिकता दिखाई थी।

बकरीद का आयोजन बहुत सारे देशों में किया जाता है। लोग मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने जाते हैं, क़ुरान पठने और ताक़त और द्वेष को दूर करने की दुआएं करते हैं। त्योहार के दिन लोग पुराने कपड़ों में सज़ा कर उसे धोती और कुर्ता पहनते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ मस्जिद जाते हैं। वहाँ उन्हें इमाम द्वारा दी जाने वाली बयान सुनने का अवसर मिलता है और उन्हें ईद की नमाज़ पढ़ने का मौका मिलता है।

नमाज़ पढ़ने के बाद, लोग घर लौटते हैं और विशेष भोजन बनाते हैं जिसमें मुर्गा, बकरा और बकरी के मांस के पकवान शामिल होते हैं। यह भोजन परिवार और दोस्तों के साथ साझा किया जाता है और इससे एक आपसी सद्भाव और मित्रता का वातावरण बनता है।

बकरीद के दिन, अल्लाह की रजा को प्राप्त करने के लिए मुसलमान भक्तों को ज़बरदस्ती बकरे की क़ुर्बानी करनी होती है। यह ज़ुबान बांधकर क़ुरानी की जगह बकरा की गर्दन पर छुरी चलाकर की जाती है। इस प्रक्रिया के बाद, बकरा का मांस परिवार और दरिद्र लोगों के बीच बांट दिया जाता है, जिससे गरीब और असहाय लोग भोजन के लिए आदर्श्य मिलते हैं।

बकरीद का त्योहार एक शुभ और खुशीयों भरा मौका है और लोग इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन घरों को सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं, और सभी एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। बच्चों के लिए यह एक खुशी का मौका होता है क्योंकि वे नए कपड़े पहनते हैं, खिलौने मिलते हैं और मिठाईयाँ खाते हैं।

बकरीद का त्योहार धार्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक महत्व भी रखता है। यह मुसलमान समुदाय की एकता, तैयारी और त्याग का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोग एक दूसरे के साथ अपनी समस्याओं और दुखों को साझा करते हैं, और दानशीलता और बड़ापन की भावना को प्रकट करते हैं। यह भी एक अवसर है जब धन की साझा करने की भावना को प्रकट किया जाता है, जब धन और खाद्य सामग्री गरीब और असहाय लोगों के साथ साझा की जाती है।

बकरीद के त्योहार के दौरान खुशियों का माहौल छाया रहता है। लोग मनोरंजन कार्यक्रम, नाच-गान, और मेले आयोजित करते हैं। इसके अलावा, लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के घर जाते हैं और उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं, मिठाईयाँ खाते हैं, और आपसी खुशहाली की कामना करते हैं।

बकरीद का त्योहार धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय समझ और सद्भावना को भी प्रकट करता है। यह त्योहार भी साम्राज्यवाद, जातिवाद, और धर्मांतरण के खिलाफ लड़ने का संकेत है। इसके माध्यम से मुसलमान समुदाय की अद्भुत सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामरिक मंच पर प्रदर्शित किया जाता है।

इसलाम धर्म में बकरीद त्योहार का महत्वपूर्ण स्थान है और इसे मुसलमान समुदाय के लोग गहरे आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह एक समावेशी और संयमित त्योहार है जो मानवीय मूल्यों और संबंधों की महत्ता को प्रदर्शित करता है। बकरीद का त्योहार मुसलमान समुदाय के सामाजिक, आध्यात्मिक, और सांस्कृतिक उत्साह को बढ़ाता है और उन्हें समरसता और प्रेम की भावना का अनुभव कराता है। इस प्रकार, बकरीद या ईद-उल-अजहा हिंदी में एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है जो मुसलमान समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के माध्यम से, लोग धार्मिक और मानवीय मूल्यों को महत्त्व देते हैं, और एक आपसी सद्भाव और प्रेम के संकेत के रूप में दुनिया में साझा करते हैं। बकरीद का त्योहार एक उदाहरण है जहां धर्म, संबंध और समरसता के भावनात्मक आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण संकेत है।

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